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डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे | डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे | ||
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दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब | दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब | ||
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन | ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन |
01:54, 6 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
मौत तू एक कविता है
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
डूबती नब्ज़ों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिये जब चांद उफक तक पहुँचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के करीब
ना अंधेरा ना उजाला हो, ना अभी रात ना दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को जब साँस आऐ
मुझसे एक कविता का वादा है मिलेगी मुझको
(इस कविता को हिन्दी फ़िल्म "आनंद" में डा. भास्कर बैनर्जी नामक चरित्र के लिये लिखा गया था। इस चरित्र को फ़िल्म में अमिताभ बच्चन ने निभाया था)