Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
Sandeep Sethi (चर्चा | योगदान) |
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− | |width="300" bgcolor=" | + | |width="300" bgcolor="white"|<poem>मिटटी दा मैं बावा बनाणीआं |
उत्ते चा दिन्नी आं खेसी | उत्ते चा दिन्नी आं खेसी | ||
वतनां वाले माण करन | वतनां वाले माण करन | ||
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सानूं गल नाल लाजा वे | सानूं गल नाल लाजा वे | ||
मेरा सोहणा माही, आजा वे | मेरा सोहणा माही, आजा वे | ||
− | </poem> | + | </poem>||width="300" bgcolor="CEF0FF"|<poem>मिटटी से मैं बच्चा बनाती हूं |
− | ||width="300" bgcolor=" | + | उसे कंबल उढ़ाती हूं |
− | + | जिनके पति साथ हैं, वो खुश हों | |
− | + | मेरा पति तो परदेसी है | |
− | + | मेरे सुँदर माही, आजा वे | |
− | + | ||
− | + | घर के सामने बेरी का पेड़ लगाती हूँ | |
− | + | हर घर में हमारी बातें होती हैं | |
− | + | आकर अपना चेहरा दिखा जाओ | |
− | + | मेरे सुँदर माही, आजा वे | |
− | + | घर के सामने पानी बहता है | |
− | + | मेरा अकेले मन नहीं लगता | |
− | + | मुझे सीने से लगा लो | |
− | + | मेरे सुँदर माही, आजा वे | |
</poem> | </poem> | ||
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09:51, 28 फ़रवरी 2010 के समय का अवतरण
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--इस लोकगीत में एक पत्नी अपने परदेसी पति को याद कर रही है। अभी उसके कोई संतान भी नहीं है तो वो खुद को बहुत अकेला महसूस करती है।--
मिटटी दा मैं बावा बनाणीआं |
मिटटी से मैं बच्चा बनाती हूं |