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"रामकहानी / संध्या पेडणेकर" के अवतरणों में अंतर

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इसकी, उसकी, तेरी, मेरी  
 
इसकी, उसकी, तेरी, मेरी  
सबकी एक सी राम कहानी  
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सबकी एक-सी राम कहानी  
 
आओ कुछ नया करें  
 
आओ कुछ नया करें  
खुद अपने निर्णय लें  
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ख़ुद अपने निर्णय लें  
और खुद अपनी राहें ढूंढें
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और ख़ुद अपनी राहें ढूँढें
  
हीरों को कराएं छुटपन से  
+
हीरों को कराएँ छुटपन से  
 
राह की पहचान  
 
राह की पहचान  
 
नैनों को दे सामनेवाले को  
 
नैनों को दे सामनेवाले को  
चीर कर आर पार देखने की ताकत
+
चीर कर आर-पार देखने की ताक़त
 
दो गिलास दूध मुन्ने को  
 
दो गिलास दूध मुन्ने को  
 
तो दो गिलास दूध मुन्नी को भी  
 
तो दो गिलास दूध मुन्नी को भी  
 
नया बस्ता राजू को  
 
नया बस्ता राजू को  
 
तो नया बस्ता रानी को भी  
 
तो नया बस्ता रानी को भी  
नयी रहे टटोलने की आजादी
+
नयी रहे टटोलने की आज़ादी
 
दोनों को दें  
 
दोनों को दें  
 
दोनों की आँखों के सपनों को  
 
दोनों की आँखों के सपनों को  

20:23, 1 मार्च 2010 के समय का अवतरण

इसकी, उसकी, तेरी, मेरी
सबकी एक-सी राम कहानी
आओ कुछ नया करें
ख़ुद अपने निर्णय लें
और ख़ुद अपनी राहें ढूँढें

हीरों को कराएँ छुटपन से
राह की पहचान
नैनों को दे सामनेवाले को
चीर कर आर-पार देखने की ताक़त
दो गिलास दूध मुन्ने को
तो दो गिलास दूध मुन्नी को भी
नया बस्ता राजू को
तो नया बस्ता रानी को भी
नयी रहे टटोलने की आज़ादी
दोनों को दें
दोनों की आँखों के सपनों को
रंग दें

लेकिन यह सब करने से पहले
समय पर शाम का खाना बना दें
संघर्ष की शुरुआत वर्ना यहीं से होगी
नई यह कहानी भी फिर
शाम के खाने पर कुर्बान हो जाएगी!