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| − | अच्छे दिन खरगोश हैं | + | {{KKGlobal}} |
| − | लौटेंगे | + | {{KKRachna |
| − | हरी दूब पर | + | |रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव |
| − | उछलते-कूदते | + | |संग्रह=अन्न हैं मेरे शब्द / एकांत श्रीवास्तव |
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| − | गोद में लेकर | + | {{KKCatKavita}} |
| − | उन्हें प्यार करेंगे | + | <Poem> |
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| − | और हम | + | गोद में लेकर |
| − | बहेलिये के जाल से | + | उन्हें प्यार करेंगे |
| − | उन्हें सचेत करेंगे | + | अच्छे दिन पक्षी हैं |
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| − | अच्छे दिन दोस्त हैं | + | हरे पेड़ों की |
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| − | और हम | + | बहेलिये के जाल से |
| − | उनसे कभी न बिछुड़ने का | + | उन्हें सचेत करेंगे |
| − | वादा | + | अच्छे दिन दोस्त हैं |
| − | < | + | मिलेंगे |
| + | यात्रा के किसी मोड़ पर | ||
| + | और हम | ||
| + | उनसे कभी न बिछुड़ने का | ||
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| + | </poem> | ||
00:22, 27 अप्रैल 2010 के समय का अवतरण
अच्छे दिन खरगोश हैं
लौटेंगे
हरी दूब पर
उछलते-कूदते
और हम
गोद में लेकर
उन्हें प्यार करेंगे
अच्छे दिन पक्षी हैं
उतरेंगे
हरे पेड़ों की
सबसे ऊँची फुनगियों पर
और हम
बहेलिये के जाल से
उन्हें सचेत करेंगे
अच्छे दिन दोस्त हैं
मिलेंगे
यात्रा के किसी मोड़ पर
और हम
उनसे कभी न बिछुड़ने का
वादा करेंगे।