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"ओ पृथ्वी-1 / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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हमारी आंखों में<br />
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ओ पृथ्‍वी<br />
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|रचनाकार=एकांत श्रीवास्तव
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ओ पृथ्‍वी
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अभी रहेगा तेरा संगीत
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जिसे गाते-गाते लड़ेंगे हम
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तेरी ऊष्‍मा
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हरेपन
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और संगीत के लिए।
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01:09, 1 मई 2010 के समय का अवतरण

हमारी आँखों में
कसमसा रहा है जल
ओ पृथ्‍वी
अभी रहेगा तेरा हरापन

तेरी कोख में सोया हुआ बीज
पौधा भी बनेगा, पेड़ भी

आँसुओं में नमक की तरह
घुल गया है गुस्‍सा
ओ पृथ्‍वी
अभी रहेगी तेरी ऊष्‍मा
पककर तैयार होंगे जिसमें
कुम्‍हार के घड़ों की तरह
हमारे सपने

धीरे-धीरे सही
टूट रहा है सन्‍नाटा
उठ रही है हमारी बाँसुरी से एक धुन
हमारी थकान में फैल रहा है
भीगे पत्‍तों का ताज़ापन

ओ पृथ्‍वी!
अभी रहेगा तेरा संगीत
जिसे गाते-गाते लड़ेंगे हम
तेरी ऊष्‍मा
हरेपन
और संगीत के लिए।