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"शब्द-1 / एकांत श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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हमारे औजार की
 
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हमारे हर दुःख में हमारे साथ
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शब्‍द दोस्‍त हैं
 
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जिनसे कह सकते हैं हम
 
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बिना किसी हिचक के
 
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अपनी हर तकलीफ
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चढ़ते हुए गीत हैं
 
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वसंत की खुशबू से भरे
 
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शब्‍द पौधे हैं
 
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बनेंगे एक दिन पेड़
 
बनेंगे एक दिन पेड़
अंतरिक्ष से आंखें मिलायेंगे
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झुका हुआ
 
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लाचार धरती का ऊंचा उठायेंगे.
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लाचार धरती का ऊँचा उठायेंगे।
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19:42, 1 मई 2010 के समय का अवतरण

शब्‍द आग हैं
जिनकी आँच में
सिंक रही है धरती
जिनकी रोशनी में
गा रहे हैं हम
काटते हुए एक लम्‍बी रात

शब्‍द पत्‍थर हैं
हमारे हाथ के
शब्‍द धार हैं
हमारे औजार की

हमारे हर दुख में हमारे साथ
शब्‍द दोस्‍त हैं
जिनसे कह सकते हैं हम
बिना किसी हिचक के
अपनी हर तकलीफ़

शब्‍द रूँधे हुए कंठ में
चढ़ते हुए गीत हैं
वसंत की खुशबू से भरे
चिडियों के सपने हैं शब्‍द

शब्‍द पौधे हैं
बनेंगे एक दिन पेड़
अंतरिक्ष से आँखें मिलायेंगे
सिर
झुका हुआ
लाचार धरती का ऊँचा उठायेंगे।