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होते यदि बीसवीं सदी में आज भारत में,
पूछता न कोई जग कहता तुम्हें काला.
 
निश्चय ही त्याग देते दही छाछ माखन भी,
पाते यदि कहीं आप बिस्कुट औ व्हिस्की
छोड़ देते राधिका को, कूबरी को, रुक्मणी को
देखते जो सूरत सुलोचना सी मिस की
 
नाम से मुसोलिनी के भाग जाते रन छोड़,
जिसका विरोध करे हिम्मत है किसकी
भागते यशोदा गोद हिटलर की बातें सुन,
यूरप थर्राता है गरज सुन जिसकी
 
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