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"भूमिका में कविता / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर

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  पतंग और चरखड़ी / मुकेश मानस
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शामिल है ये कवि
 
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2001
 
  
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'''रचनाकाल : 2001'''
 
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11:55, 14 मई 2010 के समय का अवतरण

जिन बच्चों के पास
चरखड़ी और पतंग नहीं थी
उन बच्चों ने खुद को
चरखड़ी बना लिया
और खुद को ही पतंग

वो बच्चे अभी तक
खुशियों के अम्बर को
छूने की कोशिश में लगे हैं

बार-बार गिरते
बार-बार उठते
उन्हीं बच्चों में
शामिल है ये कवि
और उसकी कविता


रचनाकाल : 2001