भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"देशगीत : अनुरागमयी वरदानमयी / महादेवी वर्मा" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(एक अन्य सदस्य द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | + | {{KKGlobal}} | |
− | + | {{KKRachna | |
− | + | |रचनाकार=महादेवी वर्मा | |
− | + | |संग्रह=प्रथम आयाम / महादेवी वर्मा | |
− | + | }} | |
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | ||
− | + | ||
अनुरागमयी वरदानमयी | अनुरागमयी वरदानमयी | ||
23:52, 2 अक्टूबर 2009 के समय का अवतरण
अनुरागमयी वरदानमयी
भारत जननी भारत माता!
मस्तक पर शोभित शतदल सा
यह हिमगिरि है, शोभा पाता,
नीलम-मोती की माला सा
गंगा-यमुना जल लहराता,
वात्सल्यमयी तू स्नेहमयी
भारत जननी भारत माता।
धानी दुकूल यह फूलों की-
बूटी से सज्जित फहराता,
पोंछने स्वेद की बूँदे ही
यह मलय पवन फिर-फिर आता।
सौंदर्यमयी श्रृंगारमयी
भारत जननी भारत माता।
सूरज की झारी औ किरणों
की गूँथी लेकर मालायें,
तेरे पग पूजन को आतीं
सागर लहरों की बालाएँ।
तू तपोमयी तू सिद्धमयी
भारत जननी भारत माता!