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− | + | बीत गयी तिथि, पत्र न निकला, ग्राहकगण ने किया प्रहार | |
− | + | तीन मास से मिला न वेतन, लौटा घर होकर लाचार | |
− | + | बोलीं बेलन लिए श्रीमती, होली का सामान कहाँ, | |
− | + | छूट गयी हिम्मत, बाहर भागा, मैं ठहरा नहीं वहाँ | |
− | + | चुन्नी, मुन्नी, कल्लू, मल्लू, लल्लू, सरपर हुए सवार, | |
− | + | सम्पादकजी हाय मनायें कैसे होली का त्यौहार | |
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18:49, 15 मार्च 2011 के समय का अवतरण
आफिस में कंपोजीटर कापी कापी चिल्लाता है
कूड़ा-करकट रचनाएँ पढ़, सर में चक्कर आता है
बीत गयी तिथि, पत्र न निकला, ग्राहकगण ने किया प्रहार
तीन मास से मिला न वेतन, लौटा घर होकर लाचार
बोलीं बेलन लिए श्रीमती, होली का सामान कहाँ,
छूट गयी हिम्मत, बाहर भागा, मैं ठहरा नहीं वहाँ
चुन्नी, मुन्नी, कल्लू, मल्लू, लल्लू, सरपर हुए सवार,
सम्पादकजी हाय मनायें कैसे होली का त्यौहार