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− | किसी बेरहम के | + | किसी बेरहम के सताये हुए हैं |
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हरेक रंग में उनको देखा है हमने | हरेक रंग में उनको देखा है हमने | ||
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कोई तो किरण एक आशा की फूटे | कोई तो किरण एक आशा की फूटे | ||
अँधेरे बहुत सर उठाये हुए हैं | अँधेरे बहुत सर उठाये हुए हैं | ||
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− | दिया एक हम भी | + | दिया एक हम भी जलाये हुए हैं |
− | गुलाब उनके चरणों में | + | गुलाब उनके चरणों में पहुँचे तो कैसे! |
− | सभी | + | सभी ओर काँटें बिछाये हुए हैं |
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01:13, 20 अप्रैल 2013 के समय का अवतरण
किसी बेरहम के सताये हुए हैं
बड़ी चोट सीने पे खाये हुए हैं
हरेक रंग में उनको देखा है हमने
उन्हींके जलाए-बुझाये हुए हैं
कोई तो किरण एक आशा की फूटे
अँधेरे बहुत सर उठाये हुए हैं
जहाँ चाँद, सूरज है, तारें हैं लाखों
दिया एक हम भी जलाये हुए हैं
गुलाब उनके चरणों में पहुँचे तो कैसे!
सभी ओर काँटें बिछाये हुए हैं