Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कविता / गुलाब खंडेलवाल }} […) |
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल | ||
− | |संग्रह= | + | |संग्रह=चाँदनी / गुलाब खंडेलवाल |
}} | }} | ||
− | [[category: | + | [[category: गीत]] |
<poem> | <poem> | ||
चाँदनी करती चली परिहास | चाँदनी करती चली परिहास | ||
+ | |||
एक मधुकर को जगाया | एक मधुकर को जगाया | ||
एक पक्षी सो न पाया | एक पक्षी सो न पाया | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 19: | ||
लाज से तीनों गये मर जब कि आयी पास | लाज से तीनों गये मर जब कि आयी पास | ||
− | एक | + | एक चकई के खुले पट |
एक नभ-दीपक बुझा झट | एक नभ-दीपक बुझा झट | ||
− | एक बाला सरित तट पर आ गयी, कटि पर | + | एक बाला सरित-तट पर आ गयी, कटि पर लिये घट |
− | एक विरहिन सो गयी होकर नितांत | + | एक विरहिन सो गयी होकर नितांत हताश |
चाँदनी करती चली परिहास | चाँदनी करती चली परिहास |
01:34, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
चाँदनी करती चली परिहास
एक मधुकर को जगाया
एक पक्षी सो न पाया
एक नत शेफालि का आँसू धरा पर ढुलक आया
रात में कुछ प्रात का ऐसा हुआ आभास
एक कमल विकच खड़ा था
एक कुमुद मुँदा पड़ा था
एक झोंका वायु का, गति के लिए नभ में अड़ा था
लाज से तीनों गये मर जब कि आयी पास
एक चकई के खुले पट
एक नभ-दीपक बुझा झट
एक बाला सरित-तट पर आ गयी, कटि पर लिये घट
एक विरहिन सो गयी होकर नितांत हताश
चाँदनी करती चली परिहास