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"रात-भर प्रभु को नींद न आयी / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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'उसने कंचन-मृग भी माँगा | 'उसने कंचन-मृग भी माँगा | ||
क्यों मैं धनुष-बाण ले भागा! | क्यों मैं धनुष-बाण ले भागा! | ||
क्या था उसका दोष कि त्यागा!' | क्या था उसका दोष कि त्यागा!' | ||
− | सोच विकलता छायी | + | सोच विकलता छायी |
'क्या यदि राज्य भारत को देता! | 'क्या यदि राज्य भारत को देता! | ||
साथ प्रिया के मैं हो लेता | साथ प्रिया के मैं हो लेता | ||
लंका से तो फिरा विजेता | लंका से तो फिरा विजेता | ||
− | हार अवध में खायी' | + | हार अवध में खायी' |
रात-भर प्रभु को नींद न आयी | रात-भर प्रभु को नींद न आयी | ||
फिर-फिर सीता की मोहक छवि नयनों में लहरायी | फिर-फिर सीता की मोहक छवि नयनों में लहरायी | ||
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04:12, 22 जुलाई 2011 के समय का अवतरण
रात-भर प्रभु को नींद न आयी
फिर-फिर सीता की मोहक छवि नयनों में लहरायी
कभी नव वधू माला लेकर
कभी ग्रामपथ पर गति-मंथर
चित्रकूट में फटिक शिला पर
देखी कभी लजायी
'उसने कंचन-मृग भी माँगा
क्यों मैं धनुष-बाण ले भागा!
क्या था उसका दोष कि त्यागा!'
सोच विकलता छायी
'क्या यदि राज्य भारत को देता!
साथ प्रिया के मैं हो लेता
लंका से तो फिरा विजेता
हार अवध में खायी'
रात-भर प्रभु को नींद न आयी
फिर-फिर सीता की मोहक छवि नयनों में लहरायी