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"गंध एक यात्रा है / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

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गंध परिसर
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|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
यह जो गंध है
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|संग्रह=
समय की तितली है
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जो त्रिकाल मार्गों से उड़ती हुई
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युग-पौधों पर खिले
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<poem>
अनगिनत शताब्दी-पुष्पों से
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गंध एक यात्रा है  
मीठी-कड़वी घटनाओं का
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रस चूसती हुई
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इतिहास-उपवन में
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असीम जीवन को गुलजार करती है
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और पुराण-पात्रों में रस सहेजकर
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ज्ञानेन्द्रियाँ तुष्ट करती है.
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गंध एक यात्रा है
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इतिहास के दूरवर्ती पन्नों की
 
इतिहास के दूरवर्ती पन्नों की
 
भौतिक-अभौतिक पन्नों की
 
भौतिक-अभौतिक पन्नों की
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अजीवित देहों की
 
अजीवित देहों की
 
और मन की पकड़ से परे
 
और मन की पकड़ से परे
जीवित देहों की भी.
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जीवित देहों की भी
  
 
तीर्थयात्रा भी है गंध
 
तीर्थयात्रा भी है गंध
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सलोने प्रदेशों की अथक यात्रा है--
 
सलोने प्रदेशों की अथक यात्रा है--
              गंध,
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गंध,
 
सुखद भटकन की चाह में  
 
सुखद भटकन की चाह में  
 
कल्पना कदमों से विचरते हुए  
 
कल्पना कदमों से विचरते हुए  
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एक दार्शनिक यात्रा है
 
एक दार्शनिक यात्रा है
  
गंध एक आनुभविक यात्रा है.
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गंध आनुभविक यात्रा है
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21:17, 9 जून 2010 के समय का अवतरण

गंध एक यात्रा है
इतिहास के दूरवर्ती पन्नों की
भौतिक-अभौतिक पन्नों की

गंध स्थावर यात्रा है
काल-कम्बल ओढ़ी
अजीवित देहों की
और मन की पकड़ से परे
जीवित देहों की भी ।

तीर्थयात्रा भी है गंध
हिमाच्छादित देवस्थलों की
साधनारत रेगिस्तानों फकीरों की
गिरिजाघरों और मस्जिदों की
नदी-संगमों और घाटों की

सलोने प्रदेशों की अथक यात्रा है--
गंध,
सुखद भटकन की चाह में
कल्पना कदमों से विचरते हुए
काल-परिधि से बाहर
काल-वृत्त के अन्दर
स्थैतिक यात्रा है

शव बनने से पहले तक की
भूख और प्यास से मुक्त
एक दार्शनिक यात्रा है

गंध आनुभविक यात्रा है ।