भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गंध एक यात्रा है / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
+
{{KKGlobal}}
 
+
{{KKRachna
गंध एक यात्रा है
+
|रचनाकार= मनोज श्रीवास्तव
 +
|संग्रह=
 +
}}
 +
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 +
गंध एक यात्रा है  
 
इतिहास के दूरवर्ती पन्नों की
 
इतिहास के दूरवर्ती पन्नों की
 
भौतिक-अभौतिक पन्नों की
 
भौतिक-अभौतिक पन्नों की
पंक्ति 9: पंक्ति 14:
 
अजीवित देहों की
 
अजीवित देहों की
 
और मन की पकड़ से परे
 
और मन की पकड़ से परे
जीवित देहों की भी.
+
जीवित देहों की भी
  
 
तीर्थयात्रा भी है गंध
 
तीर्थयात्रा भी है गंध
पंक्ति 18: पंक्ति 23:
  
 
सलोने प्रदेशों की अथक यात्रा है--
 
सलोने प्रदेशों की अथक यात्रा है--
              गंध,
+
गंध,
 
सुखद भटकन की चाह में  
 
सुखद भटकन की चाह में  
 
कल्पना कदमों से विचरते हुए  
 
कल्पना कदमों से विचरते हुए  
पंक्ति 29: पंक्ति 34:
 
एक दार्शनिक यात्रा है
 
एक दार्शनिक यात्रा है
  
गंध एक आनुभविक यात्रा है.
+
गंध आनुभविक यात्रा है
 +
</poem>

21:17, 9 जून 2010 के समय का अवतरण

गंध एक यात्रा है
इतिहास के दूरवर्ती पन्नों की
भौतिक-अभौतिक पन्नों की

गंध स्थावर यात्रा है
काल-कम्बल ओढ़ी
अजीवित देहों की
और मन की पकड़ से परे
जीवित देहों की भी ।

तीर्थयात्रा भी है गंध
हिमाच्छादित देवस्थलों की
साधनारत रेगिस्तानों फकीरों की
गिरिजाघरों और मस्जिदों की
नदी-संगमों और घाटों की

सलोने प्रदेशों की अथक यात्रा है--
गंध,
सुखद भटकन की चाह में
कल्पना कदमों से विचरते हुए
काल-परिधि से बाहर
काल-वृत्त के अन्दर
स्थैतिक यात्रा है

शव बनने से पहले तक की
भूख और प्यास से मुक्त
एक दार्शनिक यात्रा है

गंध आनुभविक यात्रा है ।