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"हर घड़ी इस तरह मत सोचा करो / सर्वत एम जमाल" के अवतरणों में अंतर
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हर घड़ी इस तरह मत सोचा करो | हर घड़ी इस तरह मत सोचा करो | ||
− | + | ज़िंदा रहना है तो समझौता करो | |
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कुछ नहीं, इतना ही कहना था, हमें | कुछ नहीं, इतना ही कहना था, हमें | ||
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आदमी की शक्ल में देखा करो | आदमी की शक्ल में देखा करो | ||
− | + | जात, मज़हब, इल्म, सूरत, कुछ नहीं | |
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सिर्फ़ पैसे देख कर रिश्ता करो | सिर्फ़ पैसे देख कर रिश्ता करो | ||
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क्या कहा, लेता नहीं कोई सलाम | क्या कहा, लेता नहीं कोई सलाम | ||
− | + | मशवरा मानो मेरा, सजदा करो | |
− | मशवरा | + | |
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पास रक्खोगे तो जिल्लत पाओगे | पास रक्खोगे तो जिल्लत पाओगे | ||
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यार इस ईमान का सौदा करो | यार इस ईमान का सौदा करो | ||
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एक आरक्षण के बल पर इन्कलाब | एक आरक्षण के बल पर इन्कलाब | ||
− | + | जागते में ख़्वाब मत देखा करो | |
− | जागते में | + | |
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लोकसत्ता, लोकमत, जनभावना | लोकसत्ता, लोकमत, जनभावना | ||
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फूल संग गुलदान भी बेचा करो | फूल संग गुलदान भी बेचा करो | ||
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15:25, 7 जून 2010 के समय का अवतरण
हर घड़ी इस तरह मत सोचा करो
ज़िंदा रहना है तो समझौता करो
कुछ नहीं, इतना ही कहना था, हमें
आदमी की शक्ल में देखा करो
जात, मज़हब, इल्म, सूरत, कुछ नहीं
सिर्फ़ पैसे देख कर रिश्ता करो
क्या कहा, लेता नहीं कोई सलाम
मशवरा मानो मेरा, सजदा करो
पास रक्खोगे तो जिल्लत पाओगे
यार इस ईमान का सौदा करो
एक आरक्षण के बल पर इन्कलाब
जागते में ख़्वाब मत देखा करो
लोकसत्ता, लोकमत, जनभावना
फूल संग गुलदान भी बेचा करो