भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बात बोलेगी / शमशेर बहादुर सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
कवि:[[शमशेर बहादुर सिंह]]
+
{{KKGlobal}}
[[Catagory:कवितायें]]
+
{{KKRachna
[[Catagory:शमशेर बहादुर सिंह]]
+
|रचनाकार = शमशेर बहादुर सिंह
 +
}}
  
*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=*=
+
<poem>
बात बोलेगी,<br>
+
बात बोलेगी,
हम नहीं।<br>
+
:हम नहीं।
भेद खोलेगी<br>
+
भेद खोलेगी  
बात ही।<br>
+
:बात ही।
  
सत्य का मुख<br>
+
सत्य का मुख
झूठ की आँखें<br>
+
:झूठ की आँखें
क्या-देखें!<br>
+
:क्या-देखें!
  
सत्य का रूख<br>
+
सत्य का रूख़
समय का रूख हैः<br>
+
:समय का रूख़ हैः
अभय जनता को<br>
+
अभय जनता को
सत्य ही सुख है<br>
+
:सत्य ही सुख है
सत्य ही सुख।<br>
+
:सत्य ही सुख।
  
दैन्य दानव काल<br>
+
दैन्य दानव; काल
भीषण; क्रूर<br>
+
भीषण; क्रूर
स्थिति; कंगाल<br>
+
स्थिति; कंगाल
बुद्धि; घर मजूर।<br>
+
बुद्धि; घर मजूर।
  
सत्य का<br>
+
सत्य का
क्या रंग है?-<br>
+
:क्या रंग है?-
पूछो<br>
+
पूछो
एक संग।<br>
+
:एक संग।
एक-जनता का<br>
+
एक-जनता का
दुःख : एक।<br>
+
:दुःख : एक।
हवा में उड़ती पताकाएँ<br>
+
हवा में उड़ती पताकाएँ
अनेक।<br>
+
:अनेक।
  
दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।<br>
+
दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।
कंगाल बुद्धि : मजूर घर भर।<br>
+
:कंगाल बुद्धि : मजूर घर भर।
एक जनता का - अमर वर :<br>
+
एक जनता का - अमर वर :
एकता का स्वर।<br>
+
एकता का स्वर।
 
-अन्यथा स्वातंत्र्य-इति।
 
-अन्यथा स्वातंत्र्य-इति।
 +
</poem>

12:19, 20 जनवरी 2009 के समय का अवतरण

बात बोलेगी,
हम नहीं।
भेद खोलेगी
बात ही।

सत्य का मुख
झूठ की आँखें
क्या-देखें!

सत्य का रूख़
समय का रूख़ हैः
अभय जनता को
सत्य ही सुख है
सत्य ही सुख।

दैन्य दानव; काल
भीषण; क्रूर
स्थिति; कंगाल
बुद्धि; घर मजूर।

सत्य का
क्या रंग है?-
पूछो
एक संग।
एक-जनता का
दुःख : एक।
हवा में उड़ती पताकाएँ
अनेक।

दैन्य दानव। क्रूर स्थिति।
कंगाल बुद्धि : मजूर घर भर।
एक जनता का - अमर वर :
एकता का स्वर।
-अन्यथा स्वातंत्र्य-इति।