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"कूव्वते इंतज़ार आ जाए / विजय वाते" के अवतरणों में अंतर

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वो शज़र सायादार आ जाए,  
 
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धूप का एतबार आ जाए|
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कोई तो ढूढ़ लाये उस जैसा,  
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जिसको देखूं कि प्यार आ जाए|
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अपने बच्चे ही जो मुक़ाबिल हों,  
 
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अपने हिस्से मे हार आ जाए|
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अब हमें इंतज़ार करना है,  
 
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कूव्व्ते इंतज़ार आ जाए |</poem>
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कूव्व्ते इंतज़ार आ जाए
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11:25, 11 जून 2010 के समय का अवतरण

सांस पर इख्तियार आ जाए,
वो अगर एक बार आ जाए ।

वो शज़र सायादार आ जाए,
धूप का एतबार आ जाए ।

कोई तो ढूंढ़ लाए उस जैसा,
जिसको देखूँ कि प्यार आ जाए ।

अपने बच्चे ही जो मुक़ाबिल हों,
अपने हिस्से मे हार आ जाए ।

अब हमें इंतज़ार करना है,
कूव्व्ते इंतज़ार आ जाए ।