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"जब देखता हूं / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>धरती को
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धरती को
 
इसी तरह रौंदी-कुचली
 
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूं
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देखता हूँ
जव देखता हूं आकाश को
+
जव देखता हूँ आकाश को
 
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
 
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूं
+
देखता हूँ
 
अब मैं
 
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूं
+
किस-किस से कहता फिरूँ
आपना दुख -
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अपना दुख -
यह धरती : मेरी मां !
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यह धरती : मेरी माँ !
 
यह आकाश : मेरा पिता !
 
यह आकाश : मेरा पिता !
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'''अनुवाद : नीरज दइया'''
 
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18:52, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

धरती को
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूँ
जव देखता हूँ आकाश को
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूँ
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूँ
अपना दुख -
यह धरती : मेरी माँ !
यह आकाश : मेरा पिता !

अनुवाद : नीरज दइया