भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जब देखता हूं / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (जब देखता हूं / साँवर दइया का नाम बदलकर जब देखता हूं / सांवर दइया कर दिया गया है)
 
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>धरती को
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=  सांवर दइया 
 +
|संग्रह=
 +
}}‎
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
<Poem>
 +
धरती को
 
इसी तरह रौंदी-कुचली
 
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूं
+
देखता हूँ
जव देखता हूं आकाश को
+
जव देखता हूँ आकाश को
 
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
 
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूं
+
देखता हूँ
 
अब मैं
 
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूं
+
किस-किस से कहता फिरूँ
आपना दुख -
+
अपना दुख -
यह धरती : मेरी मां !
+
यह धरती : मेरी माँ !
 
यह आकाश : मेरा पिता !
 
यह आकाश : मेरा पिता !
  
 
'''अनुवाद : नीरज दइया'''
 
'''अनुवाद : नीरज दइया'''
 
</poem>
 
</poem>

18:52, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण

धरती को
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूँ
जव देखता हूँ आकाश को
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूँ
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूँ
अपना दुख -
यह धरती : मेरी माँ !
यह आकाश : मेरा पिता !

अनुवाद : नीरज दइया