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"आग में / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर
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+ | आकाश में | ||
गिद्धों की तरह तिर रहे हैं | गिद्धों की तरह तिर रहे हैं | ||
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आग में ओटी हुई बाटी | आग में ओटी हुई बाटी | ||
उथलना भूल जाती हैं | उथलना भूल जाती हैं | ||
चूल्हे के पास बैठी हुई औरतें | चूल्हे के पास बैठी हुई औरतें | ||
− | धमाके | + | |
+ | धमाके.... धमाके.... धमाके... | ||
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अब बाटी उथलने से क्या होगा ? | अब बाटी उथलने से क्या होगा ? | ||
अब तो | अब तो |
18:51, 5 सितम्बर 2011 के समय का अवतरण
आकाश में
गिद्धों की तरह तिर रहे हैं
हवाई जहाज़-हैलीकॉप्टर
आग में ओटी हुई बाटी
उथलना भूल जाती हैं
चूल्हे के पास बैठी हुई औरतें
धमाके.... धमाके.... धमाके...
अब बाटी उथलने से क्या होगा ?
अब तो
सब कुछ आग में ही है !
अनुवाद : मोहन आलोक