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"पगडंडी / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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चौड़े रस्ते पर सब चलते
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सब चलते चौड़े रस्ते पर  
 
पगडंडी पर कौन चलेगा?
 
पगडंडी पर कौन चलेगा?
  
सीधे-सादे पौधों को
+
पगडंडी जो
मिलकर आरे काटें
+
मिल न सकी है
बोझ उठाती शाखों को
+
राजपथों से, शहरों से
चुन-चुन करके छाँटें
+
जिसका भारत
 +
केवल-केवल
 +
खेतों से औ' गाँवों से
  
यों क्रूर हुए इन दाँतों की
+
इस अतुल्य भारत पर बोलो
धार मोड़ने कौन बढ़ेगा?
+
सबसे पहले कौन मरेगा?
  
गाँव किनारे पेड़ों पर
+
जहाँ केन्द्र से
कौवों को वास मिला
+
चलकर पैसा
प्यारी कोयल-मैना को
+
लुट जाता है रस्ते में
केवल वनवास मिला
+
और परिधि
 +
भगवान भरोसे
 +
रहती ठण्डे बस्ते में
  
मीठे-रसमय गीत सुनाते
+
मारीचों का वध करने को
वनवासी को कौन वरेगा?
+
फिर वनवासी कौन बनेगा?
  
उड़े धरा से बहुत धुआँ
+
कार-क़ाफिला
तिल-तिल सबको मारे
+
हेलीकॉप्टर
दुख में डूबे चमकीले
+
सभी दिखावे का धंधा
नभ के सारे तारे
+
दो बित्ते की
 +
पगडंडी पर
 +
चलता गाँवों का बन्दा
  
चंदनवन की आग बुझाए
+
कूटनीति का मुकुट त्यागकर
इन्दर राजा कौन बनेगा?
+
कंकड़-पथ को कौन वरेगा?
 
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14:20, 30 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण

सब चलते चौड़े रस्ते पर
पगडंडी पर कौन चलेगा?

पगडंडी जो
मिल न सकी है
राजपथों से, शहरों से
जिसका भारत
केवल-केवल
खेतों से औ' गाँवों से

इस अतुल्य भारत पर बोलो
सबसे पहले कौन मरेगा?

जहाँ केन्द्र से
चलकर पैसा
लुट जाता है रस्ते में
और परिधि
भगवान भरोसे
रहती ठण्डे बस्ते में

मारीचों का वध करने को
फिर वनवासी कौन बनेगा?

कार-क़ाफिला
हेलीकॉप्टर
सभी दिखावे का धंधा
दो बित्ते की
पगडंडी पर
चलता गाँवों का बन्दा

कूटनीति का मुकुट त्यागकर
कंकड़-पथ को कौन वरेगा?