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"ऐसा बने सुयोग / अवनीश सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

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छार-छार हो दुख का पर्वत
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छार-छार हो  
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पर्वत दुख का  
 
ऐसा बने सुयोग
 
ऐसा बने सुयोग
  
गलाकाट इस प्रतिस्पर्धा में
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गलाकाट  
कठिन हुआ जीवित रह पाना
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इस कंप्टीशन में
यदि जीवित बचे रहे भी तो
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मुश्किल सर्वप्रथम आ जाना
मुश्किल है इसमें टिक पाना
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शिखर गए पा
 +
किसी तरह तो  
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मुश्किल है उस पर टिक पाना
  
सफल हुए हैं जो इस युग में
+
सफल हुए हैं  
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इस युग में जो
 
ऊँचा उनका योग
 
ऊँचा उनका योग
  
बड़ी-बड़ी ‘गाला’ महफ़िल में
+
बड़ी-बड़ी
हों कितनी भोगों की बातें
+
‘गाला’ महफ़िल में
 +
कितनी हों भोगों की बातें
 
और कहीं टपरे के नीचे
 
और कहीं टपरे के नीचे
हैं मन मारे सिकुड़ी आँतें
+
सिकुड़ी हैं  
 +
मन मारे आँतें
  
कोई हाथ चिरौरी करता
+
कोई हाथ  
कोई करे नियोग
+
साधता चाकू
 +
कोई साधे जोग
  
भइया मेरे, पता चले तो
+
भइया मेरा
बतलइयो वह कला अनूठी
+
बता रहा था
आस-पास अपनी धरती पर
+
कोचिंग भी है कला अनूठी
मिल जाए करिअर की बूटी
+
नाउम्मीदी की धरती पर
 +
उगती है
 +
करिअर की बूटी
  
तुम्हरे लिए दुआ करेंगे
+
सफल बनाने का
हम जैसे सब लोग
+
असफल को
 +
सर्वोत्तम उद्योग
 
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21:29, 11 मार्च 2012 के समय का अवतरण

छार-छार हो
पर्वत दुख का
ऐसा बने सुयोग

गलाकाट
इस कंप्टीशन में
मुश्किल सर्वप्रथम आ जाना
शिखर गए पा
किसी तरह तो
मुश्किल है उस पर टिक पाना

सफल हुए हैं
इस युग में जो
ऊँचा उनका योग

बड़ी-बड़ी
‘गाला’ महफ़िल में
कितनी हों भोगों की बातें
और कहीं टपरे के नीचे
सिकुड़ी हैं
मन मारे आँतें

कोई हाथ
साधता चाकू
कोई साधे जोग

भइया मेरा
बता रहा था
कोचिंग भी है कला अनूठी
नाउम्मीदी की धरती पर
उगती है
करिअर की बूटी

सफल बनाने का
असफल को
सर्वोत्तम उद्योग