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+ | श्ब्दों से भी | ||
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+ | ज्योति के द्वार | ||
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14:38, 5 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
पत्ते के झरने से भी
कभी-कभी
शाम में ढल जाती है सुबह
श्ब्दों से भी
कभी-कभी खुलते हैं
ज्योति के द्वार