भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"रुलाया था बहुत तुमने / भावना कुँअर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: रचनाकार: भावना कुँअर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ रुलाया था बहुत तुमने, जो मेरे दिल ...)
 
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
रचनाकार: भावना कुँअर
+
{{KKGlobal}}
 
+
{{KKRachna
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
|रचनाकार=भावना कुँअर
 
+
|संग्रह=
 +
}}{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
रुलाया था बहुत तुमने, जो मेरे दिल को तोड़ा था
 
रुलाया था बहुत तुमने, जो मेरे दिल को तोड़ा था
  
पंक्ति 26: पंक्ति 28:
  
 
था बंधन जो ये सांसों का, उसे तूने ही तोड़ा था।
 
था बंधन जो ये सांसों का, उसे तूने ही तोड़ा था।
 
 
Categories: कविताएँ | भावना कुँअर
 

18:49, 17 जुलाई 2012 के समय का अवतरण

रुलाया था बहुत तुमने, जो मेरे दिल को तोड़ा था

जमाने भर की नफरत को, मेरे हिस्से में छोड़ा था ।


बनाया महल सपनों का, सजाया मन के आँगन को

लगाई थी जो चिंगारी, जलाके सबको छोड़ा था ।


मेरे होने का दम भरके, निभाई गैर से उल्फत

बचाकर मुझसे ही नजरें, भरोसा मेरा तोड़ा था ।


सजाया था बहारों से, मेरे दुश्मन के दामन को

निभाने का किया वादा, मगर वादों को तोड़ा था ।


बिखरकर सूखती डाली, नहीं अब कोई भी माली

था बंधन जो ये सांसों का, उसे तूने ही तोड़ा था।