भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"दूसरा / चंद्र रेखा ढडवाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
छो (दूसरा ही / चंद्र रेखा ढडवाल का नाम बदलकर दूसरा / चंद्र रेखा ढडवाल कर दिया गया है: कवियत्री का अनुरो) |
|||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
गाती फिरती चिड़िया | गाती फिरती चिड़िया | ||
पत्तों की छाँव में घोंसला | पत्तों की छाँव में घोंसला | ||
− | घोंसले | + | घोंसले में चहक नन्ही-सी |
− | + | ||
देखती आँखें भर जाती | देखती आँखें भर जाती | ||
स्वप्नों से | स्वप्नों से |
21:32, 16 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
दरख़्त की शाख़-शाख़ पर
गाती फिरती चिड़िया
पत्तों की छाँव में घोंसला
घोंसले में चहक नन्ही-सी
देखती आँखें भर जाती
स्वप्नों से
लहक उठतीं आस में
मुँद जातीं लाज से
. . . .
अंधड़ पानी
ढह जाता दरख़्त
टूटता घोंसला
चीख़ होती चटक
बदहवास उड़ती चिड़िया
देखती आँखें
डूब जातीं आँसुओं में
लौटती / बटोरती
तिनका-तिनका हुआ घोंसला
. . . .
औरत चाहती है
देखे
एक ही दृश्य
पर केवल देखती ही नहीं
वह तो झेलती है
पल-पल दूसरा.