भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गीत-6 / मुकेश मानस" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मुकेश मानस |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> घायल मन का पागल प…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
− | |||
घायल मन का पागल पंछी, | घायल मन का पागल पंछी, | ||
रात भर रोता रहा | रात भर रोता रहा | ||
− | दूर से आया | + | दूर से आया था चलकर, |
ये मुसाफ़िर दर्दे-राह | ये मुसाफ़िर दर्दे-राह | ||
देख कर पनघट को प्यासे, | देख कर पनघट को प्यासे, | ||
मन में जागी एक चाह | मन में जागी एक चाह | ||
− | उर पिपासा बुझ ना पाई, | + | उर-पिपासा बुझ ना पाई, |
पनघट जल खोता रहा, घायल मन का………… | पनघट जल खोता रहा, घायल मन का………… | ||
पंक्ति 22: | पंक्ति 20: | ||
फूल के बदले पत्थर उसने, | फूल के बदले पत्थर उसने, | ||
दिल पे मार दिया | दिल पे मार दिया | ||
− | आँसुओं से | + | आँसुओं से ज़ख़्म दिल का |
रात भर धोता रहा, घायल मन का………… | रात भर धोता रहा, घायल मन का………… | ||
चल पड़ा फिर राह अपनी, | चल पड़ा फिर राह अपनी, | ||
− | ले | + | ले मुसाफ़िर अपना फूल |
चोट अपने फूल ने दी, | चोट अपने फूल ने दी, | ||
हाय कैसी हुई भूल | हाय कैसी हुई भूल | ||
दिल नहीं माना फिर भी, | दिल नहीं माना फिर भी, | ||
− | फूल ही बोता रहा, घायल मन | + | फूल ही बोता रहा, घायल मन का………… |
+ | 1988 | ||
<poem> | <poem> |
19:18, 7 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
घायल मन का पागल पंछी,
रात भर रोता रहा
दूर से आया था चलकर,
ये मुसाफ़िर दर्दे-राह
देख कर पनघट को प्यासे,
मन में जागी एक चाह
उर-पिपासा बुझ ना पाई,
पनघट जल खोता रहा, घायल मन का…………
प्यार से एक फूल लेकर,
हाथ में उसके दिया
फूल के बदले पत्थर उसने,
दिल पे मार दिया
आँसुओं से ज़ख़्म दिल का
रात भर धोता रहा, घायल मन का…………
चल पड़ा फिर राह अपनी,
ले मुसाफ़िर अपना फूल
चोट अपने फूल ने दी,
हाय कैसी हुई भूल
दिल नहीं माना फिर भी,
फूल ही बोता रहा, घायल मन का…………
1988