"सतपुड़ा के महाजंगल / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" के अवतरणों में अंतर
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− | + | साँप अजगर थे घनेरे ले गए उनको सपेरे | |
− | + | तमाशा दिखला रहे हैं शहर में सायं सबेरे | |
− | + | नाम के ये रहे जंगल सतपुड़ा के महाजंगल | |
− | + | घुस न पाती थीं हवायें रोक लेती डालियाँ | |
− | + | अब वहाँ ट्रक घुस रह हैं और टेक्टर ट्रालियाँ | |
− | + | फूल पत्ते फल न छाया दूर तक कुछ नज़र आया | |
− | + | जानवर की जगह हमने आदमी हर जगह पाया | |
− | + | ले चलो हो जहाँ जंगल सतपुड़ा के महाजंगल | |
− | + | गौड़ भील किरात काले मोबाइल को गले डाले | |
− | + | धूप का चश्मा लगाए घूमते वे पेंट वाले | |
− | + | तुंबियों की जगह संग में प्लास्टिक के बैग धरते | |
− | + | ट्रांज़िस्टर लिए फिरते और डिस्को डांस करते | |
− | + | ढोल इनके गुम गए हैं बोल इनके गुम गए हैं | |
− | + | कोका कोला पेप्सी के साथ रम में रम गए हैं | |
− | + | अखाड़े से हुए जंगल सतपुड़ा के महाजंगल | |
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23:09, 16 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
सतपुड़ा के महा जंगल थे कभी गए कहाँ जंगल
घटे जंगल कटे जंगल माफ़ियों में बटे जंगल
अए लकड़ चोरों बताओ बेच आए कहाँ जंगल
इन वनों के गए भीतर दिखे मुर्गे और न तीतर
पन्नियाँ ही पन्नियाँ बिखरी पड़ी थी उस ज़मीं पर
कहाँ गए वे हिरण कारे खा गए इंसान सारे
शेर चीते लकड़बग्घे गाँव में छुपते बेचारे
साँप अजगर थे घनेरे ले गए उनको सपेरे
तमाशा दिखला रहे हैं शहर में सायं सबेरे
नाम के ये रहे जंगल सतपुड़ा के महाजंगल
घुस न पाती थीं हवायें रोक लेती डालियाँ
अब वहाँ ट्रक घुस रह हैं और टेक्टर ट्रालियाँ
फूल पत्ते फल न छाया दूर तक कुछ नज़र आया
जानवर की जगह हमने आदमी हर जगह पाया
ले चलो हो जहाँ जंगल सतपुड़ा के महाजंगल
गौड़ भील किरात काले मोबाइल को गले डाले
धूप का चश्मा लगाए घूमते वे पेंट वाले
तुंबियों की जगह संग में प्लास्टिक के बैग धरते
ट्रांज़िस्टर लिए फिरते और डिस्को डांस करते
ढोल इनके गुम गए हैं बोल इनके गुम गए हैं
कोका कोला पेप्सी के साथ रम में रम गए हैं
अखाड़े से हुए जंगल सतपुड़ा के महाजंगल