Last modified on 31 अगस्त 2010, at 13:07

"कविता सपनों की / ओम पुरोहित ‘कागद’" के अवतरणों में अंतर

छो (कविता सपनों की/ ओम पुरोहित ‘कागद’ का नाम बदलकर कविता सपनों की / ओम पुरोहित ‘कागद’ कर दिया गया है)
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार=ओम पुरोहित कागद  
+
|रचनाकार=ओम पुरोहित ‘कागद’  
|संग्रह=धूप क्यों छेड़ती है / ओम पुरोहित कागद
+
|संग्रह=धूप क्यों छेड़ती है / ओम पुरोहित ‘कागद’
 
}}
 
}}
 
{{KKCatKavita‎}}
 
{{KKCatKavita‎}}

13:07, 31 अगस्त 2010 के समय का अवतरण

वर्ण-वर्ण संजोकर
गढ़ी थी मैंने
अपने सपनों की कविता।
परन्तु
कितनी निर्दयता से किया पोस्ट्मार्टम
कथित विशेषज्ञों ने,
पंक्तियां
वाक्य
शब्द
बिखेर कर परखे गये।
मुझे दुख न हुआ
दुःख तो तब हुआ
जब--
शब्दों का संधिविच्छेद कर
उन विशेषज्ञों ने
एक-एक वर्ण अलग कर
पुनः थमा दिए
मेरी हथेलियों में
फिर गढ़ने को एक कविता।
ताकि चलती रहे रुटीन पोस्तमार्टम की
उन्को भी
मुझे भी,
मिलता रहे काम।
परन्तु
काम के बदले अनाज नहीं,
मिलती है--
लम्बी चादर बेकारी की
ओढ़ कर सोने को !
समर्पण को
बस, टुटने को
बिखरने को ।