भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गुड़िया-10 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem>उस सागर में डूबने की चाह लिए मेरा मन आज बेचैन है जानता हूँ चैन उ…)
 
छो (गुड़िया-10/ नीरज दइया का नाम बदलकर गुड़िया-10 / नीरज दइया कर दिया गया है)
 
(कोई अंतर नहीं)

22:43, 22 जुलाई 2010 के समय का अवतरण

उस सागर में
डूबने की चाह
लिए मेरा मन
आज बेचैन है

जानता हूँ चैन
उसे भी नहीं
मगर वह
सीमा में बंधी है

एक बार
बस एक बार
भरपूर कर के प्यार
डूब के जीना चाहता हूँ
दूसरे शब्दों में
मर कर भी
उसे जिंदा चाहता हूँ ।