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"फिर कोई नज़्म कहें / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर
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आओ फिर नज़्म कहें | आओ फिर नज़्म कहें |
19:26, 23 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण
आओ फिर नज़्म कहें
फिर किसी दर्द को सहलाकर सुजा ले आँखें
फिर किसी दुखती हुई रग में छुपा दें नश्तर
या किसी भूली हुई राह पे मुड़कर एक बार
नाम लेकर किसी हमनाम को आवाज़ ही दें लें
फिर कोई नज़्म कहें