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+ | सब दुनिया वा की बनी, को का करै बखान ।।4।। | ||
+ | रोटी तू छोटी नहीं, तो से बड़ौ न कोय । | ||
+ | राम नाम तो में बिकै, छोड़ैं सन्त न तोय ।।5।। | ||
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+ | हिन्दू तौ हिन्दू जनै, मुस्लिम मुस्लिम जान । | ||
+ | ना कोऊ मानव जनै, है गौ बाँझ जहान ।।6।। | ||
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+ | राज मजब विद्या धनै, घिस गे चारों बाँट । | ||
+ | मनख न पूरा तुल सका, एक-एक से आँट ।।7।। | ||
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+ | राजा सिंह समान है, चीता मजहब ज्ञान । | ||
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+ | प्राणदान शक्ती रखै, अर्जुन एक किसान । | ||
+ | राज मजब विद्या धनै, हैं सब धूरि समान ।।10।। | ||
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01:16, 17 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
अर्जुन अनपढ़ आदमी, पढ्यौ न काहू ज्ञान ।
मैंने तो दुनिया पढ़ी, जन-मन लिखूँ निदान ।।1।।
ना कोऊ मानव बुरौ, ब्रासत लाख बलाय।
जो हिन्दू ईसा मियाँ, भेद अनेक दिखाय ।।2।।
बस्यौ आदमी में नहीं, ब्रासत में सैतान ।
अर्जुन सब मिल मारिये, बचै जगत इन्सान ।।3।।
कुदरत की कारीगरी, चलता सकल जहान ।
सब दुनिया वा की बनी, को का करै बखान ।।4।।
रोटी तू छोटी नहीं, तो से बड़ौ न कोय ।
राम नाम तो में बिकै, छोड़ैं सन्त न तोय ।।5।।
हिन्दू तौ हिन्दू जनै, मुस्लिम मुस्लिम जान ।
ना कोऊ मानव जनै, है गौ बाँझ जहान ।।6।।
राज मजब विद्या धनै, घिस गे चारों बाँट ।
मनख न पूरा तुल सका, एक-एक से आँट ।।7।।
राज मजब विद्या धनै, ऊँचे बेईमान ।
भोजन वस्त्र मकान दे, पद नीचौ ईमान ।।8।।
राजा सिंह समान है, चीता मजहब ज्ञान ।
धन बिल्ली-सा छल करै, विद्या बन्दर जान ।।9।।
प्राणदान शक्ती रखै, अर्जुन एक किसान ।
राज मजब विद्या धनै, हैं सब धूरि समान ।।10।।