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"पूरा दुख और आधा चांद / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर
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Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) (New page: रचनाकार: परवीन शाकिर Category:कविताएँ Category:गज़ल Category:परवीन शाकिर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*...) |
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सहरा सहरा भटक रहा है <br> | सहरा सहरा भटक रहा है <br> | ||
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रात के शायद एक बजे हैं <br> | रात के शायद एक बजे हैं <br> | ||
− | सोता होगा मेरा | + | सोता होगा मेरा चांद<br><br> |
23:32, 1 अप्रैल 2011 के समय का अवतरण
पूरा दुख और आधा चांद
हिज्र की शब और ऐसा चांद
इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चांद
मेरी करवट पर जाग उठे
नींद का कितना कच्चा चांद
सहरा सहरा भटक रहा है
अपने इश्क़ में सच्चा चांद
रात के शायद एक बजे हैं
सोता होगा मेरा चांद