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"अन्तिम क्षण का गीत / आन्ना अख़्मातवा" के अवतरणों में अंतर

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पर सीढ़ी थीं केवल तीन
 
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उधर फुसफुसा रहा था पतझड़
 
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मैं चली थी धोखा देने
 
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वहाँ शयनकक्ष था रोशन
 
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उस फीके पीले निर्झर को
 
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        Песня последней встречи
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Но шаги мои были легки.
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Я на правую руку надела
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Показалось, что много ступеней,
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А я знала — их только три!
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Попросил: "Со мною умри!
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Я обманут моей унылой
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Переменчивой, злой судьбой".
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Я ответила: "Милый, милый —
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И я тоже. Умру с тобой!"
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Это песня последней встречи.
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Я взглянула на темный дом.
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Только в спальне горели свечи
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Равнодушно-желтым огнем.
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1911 г.
 
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22:41, 7 जून 2023 के समय का अवतरण

बहुत बेबस था मन मेरा
पर चाल थी मेरी हल्की
मैं दस्ताना बदल रही थी
घबराहट थी कल की

मुझे लगीं सीढ़ियाँ ज़्यादा
पर सीढ़ी थीं केवल तीन
उधर फुसफुसा रहा था पतझड़
आ, आ जा ! मौत हसीन !

मैं चली थी धोखा देने
अपने दुखी, अशान्त जीवन को
कहा — तेरे साथ मरूँगी
वारा तुझ पर तन-मन को

यह गीत था अन्तिम क्षण का
देखा मैंने उस घर को
वहाँ शयनकक्ष था रोशन
उस फीके पीले निर्झर को

1911

मूल रूसी भाषा से अनूदित : अनिल जनविजय

लीजिए, अब यही कविता मूल रूसी भाषा में पढ़िए
                 Анна Ахматова
        Песня последней встречи

Так беспомощно грудь холодела,
Но шаги мои были легки.
Я на правую руку надела
Перчатку с левой руки.

Показалось, что много ступеней,
А я знала — их только три!
Между кленов шепот осенний
Попросил: "Со мною умри!

Я обманут моей унылой
Переменчивой, злой судьбой".
Я ответила: "Милый, милый —
И я тоже. Умру с тобой!"

Это песня последней встречи.
Я взглянула на темный дом.
Только в спальне горели свечи
Равнодушно-желтым огнем.

1911 г.