भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"त्रिवेणी 2 / गुलज़ार" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
 
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
 
|संग्रह = पुखराज / गुलज़ार
 
}}  
 
}}  
 +
{{KKCatNazm}}
 
<poem>
 
<poem>
सब पे आती है सब की बारीसे
+
सब पे आती है सब की बारी से
मौत मुंसिफ़ है कम-ओं-बेश नहीं
+
मौत मुंसिफ़ है कम--बेश नहीं
  
 
ज़िन्दगी सब पे क्यूँ नहीं आती  
 
ज़िन्दगी सब पे क्यूँ नहीं आती  
पंक्ति 13: पंक्ति 14:
 
दाने-दाने पे नाम लिखा है  
 
दाने-दाने पे नाम लिखा है  
  
'सेठ सूद्चंद मूलचंद आक़ा'
+
'सेठ सूदचंद मूलचंद आक़ा'
  
  
 
उफ़! ये भीगा हुआ अख़बार  
 
उफ़! ये भीगा हुआ अख़बार  
पेपर वाले को कल से चेंग करो  
+
पेपर वाले को कल से चेंज करो  
  
'पांच सौ गाँव बह बह गए इस साल'
+
'पांच सौ गाँव बह गए इस साल'
 
</poem>
 
</poem>

19:20, 23 सितम्बर 2010 के समय का अवतरण

सब पे आती है सब की बारी से
मौत मुंसिफ़ है कम-ओ-बेश नहीं

ज़िन्दगी सब पे क्यूँ नहीं आती


कौन खायेगा किसका हिस्सा है
दाने-दाने पे नाम लिखा है

'सेठ सूदचंद मूलचंद आक़ा'


उफ़! ये भीगा हुआ अख़बार
पेपर वाले को कल से चेंज करो

'पांच सौ गाँव बह गए इस साल'