भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"तुम्हारी ज़िन्दगी में / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} रचनाकार: परवीन शाकिर Category:कविताएँ Category:परवीन शाकिर ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~ ...)
 
छो ("तुम्हारी ज़िन्दगी में / परवीन शाकिर" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(3 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 3 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
रचनाकार: [[परवीन शाकिर]]
+
{{KKRachna
[[Category:कविताएँ]]
+
|रचनाकार=परवीन शाकिर
[[Category:परवीन शाकिर]]
+
|संग्रह=इन्कार / परवीन शाकिर  
 
+
}}
~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~
+
{{KKCatNazm}}
 
+
<poem>
 
+
 
तुम्हारी ज़िन्दगी में
 
तुम्हारी ज़िन्दगी में
 +
मैं कहाँ पर हूँ ?
  
मैं कहां पर हूं ?
 
 
 
हवाए-सुबह में
 
  
 +
हवा-ए-सुबह में
 
या शाम के पहले सितारे में
 
या शाम के पहले सितारे में
 
+
झिझकती बूँदा-बाँदी में
झिझकती बूंदा-बांदी में
+
 
+
 
कि बेहद तेज़ बारिश में
 
कि बेहद तेज़ बारिश में
 
+
रुपहली चाँदनी में
रुपहली चांदनी में
+
 
+
 
या कि फिर तपती दुपहरी में
 
या कि फिर तपती दुपहरी में
 
 
बहुत गहरे ख़यालों में
 
बहुत गहरे ख़यालों में
 
 
कि बेहद सरसरी धुन में
 
कि बेहद सरसरी धुन में
 
  
 
तुम्हारी ज़िन्दगी में
 
तुम्हारी ज़िन्दगी में
 
+
मैं कहाँ पर हूँ ?
मैं कहां पर हूं ?
+
 
+
  
 
हुजूमे-कार से घबरा के
 
हुजूमे-कार से घबरा के
 
 
साहिल के किनारे पर
 
साहिल के किनारे पर
 
+
किसी वीक-ऐण्ड का वक़्फ़ा
किसी वीक-येण्ड का वक़्फ़ा
+
 
+
 
कि सिगरेट के तसलसुल में
 
कि सिगरेट के तसलसुल में
 
+
तुम्हारी उँगलियों के बीच
तुम्हारी उंगलियों के बीच
+
 
+
 
आने वाली कोई बेइरादा रेशमी फ़ुरसत
 
आने वाली कोई बेइरादा रेशमी फ़ुरसत
 
 
कि जामे-सुर्ख़ में
 
कि जामे-सुर्ख़ में
 
 
यकसर तही
 
यकसर तही
 
 
और फिर से
 
और फिर से
 
 
भर जाने का ख़ुश-आदाब लम्हा
 
भर जाने का ख़ुश-आदाब लम्हा
 
 
कि इक ख़्वाबे-मुहब्बत टूटने
 
कि इक ख़्वाबे-मुहब्बत टूटने
 
 
और दूसरा आग़ाज़ होने के
 
और दूसरा आग़ाज़ होने के
 
 
कहीं माबैन इक बेनाम लम्हे की फ़रागत ?
 
कहीं माबैन इक बेनाम लम्हे की फ़रागत ?
 
  
 
तुम्हारी ज़िन्दगी में
 
तुम्हारी ज़िन्दगी में
 
+
मैं कहाँ पर हूँ ?
मैं कहां पर हूं ?
+
</poem>

08:16, 15 जून 2010 के समय का अवतरण

तुम्हारी ज़िन्दगी में
मैं कहाँ पर हूँ ?


हवा-ए-सुबह में
या शाम के पहले सितारे में
झिझकती बूँदा-बाँदी में
कि बेहद तेज़ बारिश में
रुपहली चाँदनी में
या कि फिर तपती दुपहरी में
बहुत गहरे ख़यालों में
कि बेहद सरसरी धुन में

तुम्हारी ज़िन्दगी में
मैं कहाँ पर हूँ ?

हुजूमे-कार से घबरा के
साहिल के किनारे पर
किसी वीक-ऐण्ड का वक़्फ़ा
कि सिगरेट के तसलसुल में
तुम्हारी उँगलियों के बीच
आने वाली कोई बेइरादा रेशमी फ़ुरसत
कि जामे-सुर्ख़ में
यकसर तही
और फिर से
भर जाने का ख़ुश-आदाब लम्हा
कि इक ख़्वाबे-मुहब्बत टूटने
और दूसरा आग़ाज़ होने के
कहीं माबैन इक बेनाम लम्हे की फ़रागत ?

तुम्हारी ज़िन्दगी में
मैं कहाँ पर हूँ ?