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"इसी में ख़ुश हूँ / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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इसी में ख़ुश हूँ मेरा दुख कोई तो सहता है <br>
 
इसी में ख़ुश हूँ मेरा दुख कोई तो सहता है <br>
 
चली चलूँ कि जहाँ तक ये साथ रहता है <br><br>
 
चली चलूँ कि जहाँ तक ये साथ रहता है <br><br>

18:42, 25 मई 2009 के समय का अवतरण

इसी में ख़ुश हूँ मेरा दुख कोई तो सहता है
चली चलूँ कि जहाँ तक ये साथ रहता है

ज़मीन-ए-दिल यूँ ही शादाब तो नहीं ऐ दोस्त
क़रीब में कोई दरिया ज़रूर बहता है

न जाने कौन सा फ़िक़्रा कहाँ रक़्म हो जाये
दिलों का हाल भी अब कौन किस से कहता है

मेरे बदन को नमी खा गई अश्कों की
भरी बहार में जैसे मकान ढहता है