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"क़ीमत / आलोक धन्वा" के अवतरणों में अंतर

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अब तो भूलने की भी बड़ी क़ीमत मिलती है
 
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अब तो यही करते हैं
 
अब तो यही करते हैं

21:28, 1 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

अब तो भूलने की भी बड़ी क़ीमत मिलती है

अब तो यही करते हैं
लालची ज़लील लोग।

(1997)