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हम दोनों जो हर्फ़<ref> पहेली</ref> थे
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हम दोनों जो हर्फ़<ref>अक्षर</ref> थे  
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इक लफ्ज<ref> शब्द</ref>बना
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और हमने इक माने <ref> अर्थ</ref> पाए
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फिर  जाने क्या हम पर गुजरी
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और अब यूँ है
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तुम इक हर्फ़ हो
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मैं इक हर्फ़ हूँ
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बीच मे
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कितने लम्हों के खाने ख़ाली है
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फिर से कोई लफ्ज बने
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और हम दोनों इक माने पायें
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ऐसा हो सकता है
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लेकिन
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सोचना होगा
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इन ख़ाली खानों मे हमको भरना क्या है
  
 
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13:24, 12 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण


हम दोनों जो हर्फ़<ref>अक्षर</ref> थे
हम इक रोज मिले
इक लफ्ज<ref> शब्द</ref>बना
और हमने इक माने <ref> अर्थ</ref> पाए
फिर जाने क्या हम पर गुजरी
और अब यूँ है
तुम इक हर्फ़ हो
इक खाने में
मैं इक हर्फ़ हूँ
इक खाने मे
बीच मे
कितने लम्हों के खाने ख़ाली है
फिर से कोई लफ्ज बने
और हम दोनों इक माने पायें
ऐसा हो सकता है
लेकिन
सोचना होगा
इन ख़ाली खानों मे हमको भरना क्या है

शब्दार्थ
<references/>