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<poem>ठाली बूली ठिठकारियोड़ी ठंड में
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ठाली बूली ठिठकारियोड़ी ठंड में
 
बै आवै  
 
बै आवै  
 
अभ्यास सारू
 
अभ्यास सारू

02:37, 29 नवम्बर 2010 के समय का अवतरण

ठाली बूली ठिठकारियोड़ी ठंड में
बै आवै
अभ्यास सारू

सारी-सारी रात
धोरां में धमाका
धूजै रेत

डरूं-फरूं लुगायां
कांई हुवैला रै सोच में मिनख
धक-धक करै छाती
चिरळी मार जागै
घरां में टाबर
संभाळै मा

देखै अर डरै
राजा बेटै रो बिछाणो
मूत सू आलो !