भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अगूंण कानी आंख / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: <poem>चौफेर रात रो राज दडूकै डाकी अंधारो थर-थर धूजतो म्हैं रात काटूं…)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
<poem>चौफेर रात रो राज  
+
{{KKGlobal}}
 +
{{KKRachna
 +
|रचनाकार=साँवर दइया
 +
|संग्रह=हुवै रंग हजार / सांवर दइया
 +
}}
 +
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
 +
{{KKCatKavita‎}}
 +
<Poem>
 +
चौफेर रात रो राज  
 
दडूकै डाकी अंधारो  
 
दडूकै डाकी अंधारो  
  

05:02, 28 मार्च 2016 के समय का अवतरण

चौफेर रात रो राज
दडूकै डाकी अंधारो

थर-थर धूजतो म्हैं
रात काटूं
अगूण कानी आंख करियां

चिडकल्यां री चीं-चीं सुण
जी में जी आवै
होळै-होळै भाख फाटै

अगूण में पसरण लागै उजास….