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उम्र / पंखुरी सिन्हा
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17:21, 6 जनवरी 2013
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<Poem>
''' उम्र '''
जैसे सुबह उठकर कोई शीशे में देखे,
कि कुछ बाल कनपटी पर सफ़ेद हो गए हैं,
अनिल जनविजय
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