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मुक्तक / दुष्यंत कुमार
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05:44, 30 नवम्बर 2011
(३)
गीत गाकर चेतना को वर दिया
मैने
मैंने
आँसुओं से दर्द को आदर दिया
मैने
मैंने
प्रीत मेरी आत्मा की भूख थी, सहकर
ज़िंदगी का चित्र पूरा कर दिया
मैने
मैंने
(४)
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