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मुक्तक / दुष्यंत कुमार

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(३)
गीत गाकर चेतना को वर दिया मैनेमैंनेआँसुओं से दर्द को आदर दिया मैनेमैंने
प्रीत मेरी आत्मा की भूख थी, सहकर
ज़िंदगी का चित्र पूरा कर दिया मैनेमैंने
(४)
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