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|रचनाकार=शिवदीन राम जोशी
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बंदहुं राम जो पूरण ब्रह्म है, वे ही त्रिलोकी के ईश कहावें |
श्री गुरु राह कृपामय हो, हम पै नजरे, गुण को नित गावें ||
लिखूं सुदामा की कथा यथा बुद्धि है मोर |
करहूं कृपा शिवदीन पर नागर नन्दकिशोर ||
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