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[[Category:बशीर बद्र]]
 
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यूं ही बेसबब ना फ़िरा करो किसी शाम घर भी रहा करो<br>
जो कहा नहीं वो सुना करो, जो सुना नहीं वो कहा करो<br><br>
कभी हुस्न ए हुस्ने-पर्दानशीं भी हो जरा आशिकाना लिबास में<br>
जो मैं बन संवर के कहीं चलूं मेरे साथ तुम भी चला करो<br><br>
नहीं बेहिज़ाब वो चांद सा कि नज़र का कोई असर नहीं<br>
उसे तनी गर्मी --शौक से बड़ी देर तक ना तका करो<br><br>