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अक्षर अनन्य

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|जन्मस्थान=सेनुहरा, दतिया, मध्यप्रदेश, भारत
|मृत्यु=1743 ( संवत1800)
|कृतियाँ=प्रेमदीपिका, उत्तर चरित, राजयोग, विज्ञानयोग, ध्यानयोग, सिद्धान्तबोध, विवेकदीपिका, ब्रह्मज्ञान, अनन्य प्रकाश आदि अनेक काव्य-ग्रन्थ।
|विविध=शुरू में दतिया के राजा पृथ्वीचन्द के दीवान रहे। बाद में विरक्त होकर पन्ना में रहने लगे। वेदान्त के अच्छे ज्ञाता थे। प्रसिद्ध छत्रपाल इन्हीं के शिष्य थे। इन्होंने योग और वेदान्त पर कई ग्रन्थ लिखे।
|जीवनी=[[अक्षर अनन्य / परिचय]]
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