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माँ की इश्वर से मुलाकात हुई या नहीं
कहना मुश्किल है
पर वह जताती थी जैसे इश्वर से उसकी बातचीत होते रहती है
और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार
जिंदगी जीने और दुःख बर्दास्त करने का रास्ता खोज लेती है
माँ ने एक बार मुझसे कहा था दक्षिण की इश्वर से मुलाकात हुई या नहीं<br>तरफ़ पैर कर के मत सोनाकहना मुश्किल है<br>पर वह जताती थी जैसे इश्वर से उसकी बातचीत होते रहती मृत्यु की दिशा है<br>और उससे प्राप्त सलाहों के अनुसार<br>यमराज को क्रुद्ध करनाजिंदगी जीने और दुःख बर्दास्त करने का रास्ता खोज लेती बुद्धिमानी की बात नही है<br><br>
माँ ने एक बार मुझसे कहा तब मैं छोटा था <br>दक्षिण की तरफ़ पैर कर के मत सोना<br>वह मृत्यु की दिशा है<br>और मैंने यमराज को क्रुद्ध करना<br>के घर का पता पूछा थाबुद्धिमानी की बात नही है<br>उसने बताया थातुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में
माँ की समझाइश के बाद
दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नही सोया
और इससे इतना फायदा जरुर हुआ
दक्षिण दिशा पहचानने में
मुझे कभी मुश्किल का सामना नही करना पड़ा
तब मैं छोटा था<br>दक्षिण में दूर-दूर तक गयाऔर मैंने यमराज के घर का पता पूछा था<br>हमेशा मुझे माँ याद आईउसने बताया दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था<br>तुम जहाँ भी हो वहाँ से हमेशा दक्षिण में<br>होता छोर तक पहुँच पानातो यमराज का घर देख लेता
पर आज जिधर पैर करके सोओं
वही दक्षिण दिशा हो जाती है
सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं
और वे सभी में एक साथ
अपनी दहकती आखों सहित विराजते हैं
माँ की समझाइश के बाद<br>दक्षिण दिशा में पैर करके मैं कभी नही सोया<br>और इससे इतना फायदा जरुर हुआ<br>दक्षिण दिशा पहचानने में<br>मुझे कभी मुश्किल का सामना नही करना पड़ा<br>  मैं दक्षिण में दूर-दूर तक गया<br>और हमेशा मुझे माँ याद आई<br>दक्षिण को लाँघ लेना सम्भव नहीं था<br>होता छोर तक पहुँच पाना<br>तो यमराज का घर देख लेता<br>  पर आज जिधर पैर करके सोओं<br>वही दक्षिण दिशा हो जाती है<br>सभी दिशाओं में यमराज के आलीशान महल हैं<br>और वे सभी में एक साथ<br>अपनी दहकती आखों सहित विराजते हैं<br>  माँ अब नही है<br>और यमराज की दिशा भी अब वह नहीं रही<br>जो माँ जानती थी<br/poem>
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