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[[Category:ग़ज़ल]]
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लाखों शक्लों के मेले में तनहा रहना मेरा काम|भेस बदल कर देखते रहना तेज़ हवाओं का कोहराम|
एक तरफ़ आवाज़ का सूरज एक तरफ़ इक गूँगी शाम,एक तरफ़ जिस्मों की ख़ुश्बू एक तरफ़ इस का अन्जाम|
बन गया क़ातिल मेरे लिये तो अपनी ही नज़रों का दाम,सब से बड़ा है नाम ख़ुदा का उस के बाद है मेरा नाम| [शक्ल = चेहरा; तन्हा = अकेला; कोहरम = शोर शराबा][अन्जाम = अंत; क़ातिल = मारने वाला; दाम = कीमत]
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