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स्त्री / सुमित्रानंदन पंत
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10:53, 4 मई 2010
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<poem>
यदि स्वर्ग कहीं है पृथ्वी पर, तो वह नारी
के
उर के भीतर,
::दल पर दल खोल हृदय के अस्तर
::जब बिठलाती प्रसन्न होकर
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