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प्रिये, आओ तुम! / मनोज श्रीवास्तव
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10:26, 18 जुलाई 2011
थाम लो तुम
वहाशियाए
वहशियाए
आदतों के
ये कटीले वन,
रेंगते हैं जहां ब्याले
Dr. Manoj Srivastav
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